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उज्जैन में भगवान महाकाल की फुलझड़ी से आरती की
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शुक्रवार से चार दिवसीय दीप पर्व की शुरुआत होगी। परंपरा की रोशनी से राजाधिराज भगवान महाकाल का आंगन दमकेगा। धनत्रयोदशी पर पुरोहित समिति द्वारा देश, प्रदेश व नगर में सुख समृद्धि की कामना से भगवान महाकाल को चांदी के सिक्के भेंट कर पूजा अर्चना की जाएगी। रविवार को तड़के 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनेगी। भगवान को अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। चार दिन तक परंपरा अनुसार अलग-अलग पूजन का क्रम रहेगा।
धनत्रयोदशी : पुरोहित समिति करेगी महापूजा
धनत्रयोदशी से चार दिवसीय दीप पर्व का शुभारंभ होगा। शुक्रवार सुबह 9 बजे पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकाल की महापूजा की जाएगी। पुरोहित समिति के अध्यक्ष पं.अशोक शर्मा ने बताया राजाधिराज महाकाल अखिल ब्रह्मांड के स्वामी हैं। धनतेरस पर देश, प्रदेश व नगर में सुख समृद्धि तथा आरोग्यता के लिए भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। समृद्धि व धन धान्य की पूर्ति के लिए भगवान को चांदी के सिक्के अर्पित किए जाएंगे।
रूप चतुर्दशी : भस्म आरती में मनेगी दीपावली
पं.महेश पुजारी ने बताया भगवान महाकाल उज्जैन के राजा हैं। इसलिए हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्यौहार एक दिन पहले मनाए जाते हैं। महाकाल में दीपावली भी रूप चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। संयोग से तिथि मतांतर के चलते इस बार सुबह रूप चतुर्दशी व शाम को दीपावली है।
इसलिए रविवार को तड़के 4 बजे भस्म आरती में पुजारी परिवार की ओर से दीपावली मनाई जाएगी। पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। इसके बाद भगवान को गर्म जल से स्नान कराकर विशेष श्रृंगार किया जाएगा। पश्चात अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी।
दीपावली : पांच आरती में फुलझड़ी से आरती होगी
रूप चतुर्दशी व दीपावली रविवार को एक ही दिन है। मंदिर की परंपरा अनुसार दीपावली के दिन भस्म आरती से शयन आरती तक प्रतिदिन होने वाली भगवान महाकाल की पांचों आरती में फुलझड़ी से आरती की जाएगी। कोटितीर्थ कुंड पर समृद्धि के दीप जलेंगे।
गोवर्धन पूजा : गोशाला में होगी पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मंगलवार को मंदिर के मुख्य द्वार पर पुजारी परिवार की महिलाएं गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा अर्चना करेंगी। इसके बाद चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गोवंश की पूजा अर्चना की जाएगी।